# क्या मोदी-शाह का सपना
हो रहा है चकनाचूर ?
" देवेश चतुर्वेदी "
पश्चिम बंगाल में भाजपा प्रमुख विपक्षी दल है लेकिन बंगाल में राजनीतिक गतिविधियों से संकेत मिल रहा है कि भाजपा का सपना पश्चिम बंगाल में बिखर रहा है और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए ही अब संघर्ष कर रही है। पिछले 1 साल में राज्य में हुए विधानसभा लोकसभा उपचुनावों एवं निकाय और नगरपालिका के चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन पश्चिम बंगाल में बहुत ही निराशाजनक रहा है।
क्या भाजपा के मतदाता मायूस होकर सीपीएम की तरफ लौट रहे हैं ?
अभी हुए उपचुनाव में सीपीएम का वोट शेयर बढा है जिसके कारण वाम मोर्चा काफी प्रसन्न है और कार्यकर्ताओं में एक नया जोश भर गया है। सीपीएम को उम्मीद की किरण दिखने लगी है और पूर्ण विश्वास है की भविष्य के चुनावों में और भी ज्यादा मजबूत होकर उभरेगी।
भाजपा सिर्फ चुनावी मोर्चा पर ही नहीं विफल हो रही है बल्कि भाजपा के बड़े-छोटे नेताओं का तृणमूल कांग्रेस में पलायन भी एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। प्रत्येक दिन किसी ना किसी भाजपा नेता के इस्तीफे की खबर आ जाती है।
मतुआ समुदाय के सांसद शांतनु ठाकुर पार्टी नेतृत्व के खिलाफ खुलकर नाराजगी जता चुके हैं। दार्जिलिंग की गोरखा जनमुक्ति मोर्चा भी भाजपा का साथ छोड़ चुकी है।
पश्चिम बंगाल मैं भाजपा के पास कोई चेहरा नहीं है जो ममता बनर्जी को टक्कर दे पाये।
ममता बनर्जी बहुत ही सशक्त नेता हैं और उनके साथ 30 प्रतिशत अल्पसंख्यक वोट बैंक भी है।
भाजपा के नेता अंदरूनी कलह के शिकार हैं जो विभिन्न गुटों में विभाजित हैं। ममता बनर्जी की तृणमूल सरकार के खिलाफ एकजुट होकर टक्कर देने की स्थिति में नहीं हैं । सभी अपनी डफली अपना राग अलाप रहे हैं। जब तक भाजपा का केंद्र नेतृत्व किसी एक बंगाली अस्मिता से ताल्लुक रखने वाले नेता को सामने लाकर जिम्मेदारी नहीं देगा तब तक बंगाल में भाजपा को अपना कुनबा संभाल कर रखना मुश्किल नजर आ रहा है। केंद्रीय नेतृत्व को बंगाल की स्थिति को लेकर तुरंत मंथन करने की आवश्यकता है वरना बंगाल में भाजपा मजबूत संगठन बनाने में असमर्थ रहेगी।
बंगाल में हार के लिए भाजपा नेता तृणमूल पर धांधली और अत्याचार का आरोप लगाते हैं। असल में भाजपा के कार्यकर्ताओं को नजर अंदाज किया जाता है एवं पीड़ित कार्यकर्ताओं को केवल मौखिक समर्थन ही मिलता है कोई ओर मदद नहीं मिलती जबकि तृणमूल अपने कार्यकर्ताओं को हर तरह से मदद करती है आर्थिक सुख सुविधा के साथ पार्टी का पूर्ण समर्थन भी मिलता है। यह देखकर भाजपा कार्यकर्ता डर जाते हैं और खुद को अकेला महसूस करते हैं एवं पार्टी से मोहभंग हो जाता है।
आज केंद्र में शासन के कारण और आरएसएस के समर्थन से भाजपा को इतने प्रतिशत वोट प्राप्त हुए हैं अन्यथा बंगाल में भाजपा का हाल कांग्रेश जैसा ही होता। भविष्य में राजनीति किस दिशा में करवट लेगी अभी बताना मुश्किल है।
18 comments:
Bilkul sahi likhe hain Devesh ji.. BJP needs strong leader in Bengal. They need to introspect, otherwise their condition will further deteriorate in bengal.
Rakesh
Thx Rakesh for your valuable feedback.
Public servent must always remember that they are selected to serve people and they are not doing any favour. arrogance does not survive for long.
Thanks Ruchir
I don't agree with you analytical report . BJP from. 3 seats reached 70+ and now is fighting g a tooth and nail fight with TMC. Tye entire state machinery is run by TMC AND GOONS OF THE TMC . Which is a very sad state of affairs here . People are fed up and are scared to voice their opinion once the elections are conducted with correct forces their leaders of TMC will lynched in public.
Thank you for your comments.
Seems you are not registered with any Google platform so ..
Please do write your name to along with your comments.
Thx once again.
👍
Thx
👍
Thx
Very nicely written....
Thanks Prateek.
Actual analysis of the BJP in west Bengal Nishith chaturvedi
Thank you Nishith ji for your comments.
👍
Thx
Very well written and a good analysis👍
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