# अंगदान

# महापुण्य का कार्य है अंगदान 

                                 " देवेश चतुर्वेदी "




प्रतिवर्ष 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में अंगदान के प्रति जागरूकता पैदा करना क्योंकि अभी भी अंगदान लेकर जागरूकता की कमी है।
सभी अंगों को मृत्यु के उपरांत खाक में मिल जाना तय है। यह सभी के लिए कितने पुण्य बात होगी कि मृत्यु के पश्चात् हमारे अंग किसी को जिवनदान दे सकें।
अंगदान कभी भी किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक अंगदान कर सकता है वशर्ते उनके अंग स्वाथ हों। 
हमारे देश में ही हर वर्ष लाखों लोगों की मृत्यु शरीर के विभिन्न अंग खराब होने से हो जाती है। 
अब देश में ही लिवर किडनी और हार्ट के ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध है। किडनी तथा लंग्स और लिवर के कुछ हिस्सों को जीवित व्यक्ति भी दान कर सकते हैं। इसके अलावा आंखों समेत बाकी तमाम अंगों को मृत्यु के पश्चात् भी दान किया जा सकता है।
यह एक अच्छा संकेत है कि धीरे-धीरे लोग अब अंगदान के प्रति जागरूक हो रहे हैं एवं अस्पतालों में भी शव दान के लिए गंभीरता से कार्य किया जा रहा है।
यह जानक आश्चर्यचकित होगें की हमारे देश में सबसे कम उम्र की अंगदान करने वाली बच्ची सिर्फ 20 महिने की थी जिससे पाँच लोगों को जीवन दान मिला।
दिल्ली में धनिष्ठा नमक्त 20 महिने की बच्ची पहली मंजिल की बालकनी से गिर गई। अस्पताल में तमाम कोशिशों के बावजूद उस बच्ची को नहीं बचाया जा सका। उसे ब्रेन डैड घोषित कर दिया गया परन्तु उसके शरीर के बाकी सभी अंग ठीक से कार्य कर रहे थे। हृदय लिवर दोनों गुर्दे एवं दोनों काँर्निया अस्पताल में निकाले गए और अलग-अलग पाँच मरीजों में ट्रांसप्लांट किये गये। धनिष्ठा मरणोपरांत देश की सबसे छोटी दानदाता है जिसके अंगदान से पाँच मरीजों को जिवनदान मिला। उसके अभिभावक का मनना है कि बच्ची को खो दिया लेकिन अंगदान करके एक तरह से वह आज भी जीवित है।
इसी तरह महानगर कोलकाता की 43 वर्ष की डाँक्टर संयुक्ता श्याम राय की अचानक तबियत खराब हो गई। अस्पताल में उसे ब्रेन डैड घोषित कर दिया गया।
संयुक्ता के परिजनों ने उनके अंगों को दान करने का निर्णय लिया। उनकी दोनों  किडनी लीवर और काँर्निया को अलग-अलग मरीजों में ट्रांसप्लांट किया गया।
डाक्टर संयुक्ता ने अपने पेशेगत जीवन में कई लोगों को नया जीवन दिया परन्तु मरणोप्रांत भी वे कई लोगों को नया जीवन दे गयी।
अंगदान एक बहुत ही श्रेष्ठ पुण्य का कार्य है। इससे अच्छा क्या हो सकता है कि अपना जीवन पूर्ण करने के पश्चात् आप कई अन्य व्यक्तियों को अपने अंगों को दान करके नया जीवन दे सकें। 
इसलिए सभी व्यक्तियों को आगे आकर अंगदान करना चाहिए ताकि अनेक अंग पीड़ित व्यक्तियों को जीवन मिल सके।

articlesdev.com






No comments: