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# सौर ऊर्जा

# पर्यावरण के लिए सौर ऊर्जा 

                         देवेश चतुर्वेदी " 


आशा अपार्टमेंट की छत पर लगा सौर ऊर्जा पैनल

भारत एक तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है जहाँ 130 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं। यह एक ऐसा युग है जहाँ अधिक से अधिक लोग पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं को अपना रहे हैं।

 हरित ऊर्जा के रूप में सौर ऊर्जा ने पिछले कुछ दशकों में काफी लोकप्रियता अर्जित कर रही है। जब हम विधुत उतपन्न करने के लिए सौर पैनल प्रणाली का उपयोग करते हैं जो सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करती है तो वातावरण में कोई ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित नहीं होती एवं सौर ऊर्जा का बढ़ता उपयोग पृथ्वी के वातावरण को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

 आज आवासीय परिसरों के नए-नए निर्माण अत्यन्त तीव्र गति से हो रहे हैं एवं बहुमंजिला इमारतें विधुत की बहुत बड़ी उपभोक्ता हैं जिसमें लिफ्ट एयर कंडीशनर प्रकाश व्यवस्था आदि के लिए विधुत की भारी मात्रा की आवश्यकता होती है।

 पश्चिम बंगाल में भी अन्य राज्यों की तरह आवासीय परिसरों में सौर ऊर्जा पैनल लगाए जा रहे हैं। 

 कोलकाता के टालीगंज में स्थित ऐसे ही एक प्रसिद्ध परिसर आशा को-आँपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की कमेटी के चेयरमैन श्री दीपक गुप्ता के विशिष्ट प्रयासों से सौर ऊर्जा पैनल प्रणाली लगाना सम्भव हुआ है। 

 सौर पैनल प्रणाली लगाने की लागत अधिक होने की वजह से दीपक के लिए यह बड़ी चुनौती थी। उन्होंने पहले अपनी कमेटी के साथ इस की एक पूरी परियोजना तैयार की। उसके उपरान्त दीपक ने परिसर के सोसाइटी के सदस्यों की एक बैठक आयोजित की और सौर ऊर्जा के महत्व एवं उससे होने वाले लाभ के वारे में आंकड़ों के द्वारा समझाया। 


दीपक ने परिसर के सदस्यों को भरोसा दिया की सौर पैनल पर्यावरण के अनुकूल हैं एवं इसके संचालन की लागत भी स्थिर है। अगर ठीक से रख रखाव किया जाये तो 20 वर्ष से अधिक ऊर्जा दे सकते हैं। सौर पैनलों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह किसी भी प्रकार की छत पर स्थापित किया जा सकता है एवं एक बार इन्फ्रस्टक्चर स्थापित हो  जाये तो इनवर्टर एवं बैटरी बदलने के अलावा और कोई लागत नहीं लगती है। मासिक विधुत बिलों पर बचत करते हुए लगभग 5 वर्ष में लागत वसूल हो जाती है। 

 दीपक ने सौर ऊर्जा के उत्पादन एवं लाभों के बारे में जानकारी देकर आशा अपार्टमेंट के सदस्यों को प्रोत्साहित किया और सौभाग्य से आशा अपार्टमेंट में आज एक साल से कोलकाता के हरित जीवन को आगे बढ़ा रहा है। 

 केन्द्र एवं राज्य की सरकारें भी लोगों को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। 

 आज हमारे देश में सभी आवासीय परिसरों और संस्थागत भवन जैसे शिक्षा एवं स्वास्थ्य संस्थान आदि को सौर ऊर्जा के उपयोग की व्यवस्था करना चाहिए। 

स्पष्ट रूप से बढ़ती आबादी ईंधन की खपत और तेजी से होते निर्माण गतिविधियों को देखते हुए हरित निर्माण पहल जहरीले उत्सर्जन को रोकने के लिए भविष्य में महत्वपूर्ण रास्ता हो सकता है।।




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