# केटलबेल चैम्पियन

# केटलबेल चैम्पियन - शिवानी अग्रवाल


                        " देवेश चतुर्वेदी "



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क्या है केटलबेल ?
केटलबेल एक कच्चे लोहे या कच्चे स्टील की गेंद है जिसके ऊपर एक हैंडल लगा होता है इसका उपयोग कई प्रकार के व्यायाम करने के लिए भी किया जाता है जिसमें बैलेस्टिक व्यायाम शामिल हैं जो हृदय, शारीरिक शक्ति और लचीलेपन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। 
यह कहना मुश्किल है कि केटलबेल का आविष्कार किसने किया था। कुछ लोग कहते हैं यह प्राचीन यूनान जितना पुराना है। कैटल बेल शब्द रूस में पहली बार 1704 में शब्दकोष में  दिखाई दिया। प्राचीन रूस में सदियों से  केटलबेल का इस्तेमाल किया जाता रहा है। बाद में पूर्व रूसी बल प्रशिक्षक पविल त्सात्सुलाइन ने 1990 के दशक के अंत में केटलबेल को लोकप्रिय बना दिया। इसलिए हम कह सकते हैं कि इस खेल की उत्पत्ति रूस में हुई थी। केटलबेल खेल में अलग अलग वजन के केटलबेल को उठाना होता है। विजेता का फैसला एथलीट के द्वारा  एक निर्धारित अवधि में उठाए गए वजन और उनकी लगातार उठाने की संख्या से होता है।
2015 में पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट शिवानी अग्रवाल (कोलकात्ता) ने अपने बेटे को जन्म दिया और पोस्टपार्टम वजन कम करने के लिए जिम जाना शुरू किया तब उनके कोच ने उन्हें केटलबेल से परिचित कराया। उनके लगाव और मेहनत को देखते हुए उनके कोच ने उन्हें खेल के रूप में केटलबेल जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया और  उनका यह प्रयास रंग लाया। कुछ साल पहले उज्बेकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया में शिवानी ने भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता और अब फ्रांस में फिर से स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन कर दिया है।

articlesdev.com  - Shivani Agarwal
                    शिवानी अग्रवाल 

 शिवानी के अनुसार उनकी उपलब्धियाँ उनके परिवार के समर्थन के बिना संभव नहीं हो सकती थी क्योंकि वह एक बहुत ही रूढ़िवादी  परिवार से आती है जहाँ शॉर्ट्स पहनना और पुरुष के साथ प्रशिक्षण का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। लेकिन उनके पति मंयक अग्रवाल जो खुद एक उत्साही स्क्वैश
 खिलाड़ी हैं उनके साथ एक चट्टान की तरह खड़े रहे और कड़ी मेहनत के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया और आज उनके सपने को साकार कर दिया। शिवानी चाहती है कि केटलबेल खेल को और भी ज्यादा प्रसिद्धि मिले और युवाओं को इसमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
 वे जब खुद शादीशुदा एवं एक बच्चे की माँ होने उपरान्त अपने प्रोफेशन के साथ आज केटलबेल में कड़ी मेहनत कर जब यह मुकाम पा सकती है तो हमारे देश अन्य युवा पुरुष और महिलाएँ भी इस खेल से जुड़कर उनके साथ भारत का नाम अवश्य ही रोशन कर सकते हैं। 

कौन कहता है कामयाबी किस्मत तय करती है, इरादों में  दम हो तो मंजिलें भी झुका करती हैं ।

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