# नारी सशक्तिकरण

# राष्ट्र विकास मैं आवश्यक है नारी सशक्तिकरण

                             " देवेश चतुर्वेदी "




articlesdev.com - नारी सशक्तिकरण



नारी सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं का समग्र विकास । जब हम समग्र विकास की बात करते हैं तो वह तभी संभव हो सकता है जब महिलाओं की शैक्षिक आर्थिक सामाजिक एवं राजनैतिक स्थिति में सुधार हो । किसी समाज के प्रगतिशील होने के लिए यह आवश्यक है महिलाएं सशक्त बने वह समाज में बराबरी की भागीदारी करें और समाज के अंदर उनका पूर्ण सम्मान हो। 
भारतीय संस्कृति मैं नारी को बहुत उच्च सम्मान दिया गया है। मनुस्मृति मैं कहा गया है  -
“ यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता :।
पूज्यन्ते  सर्वास्तत्राफला: क्रिया: ।।“
अर्थ है कि जहां स्त्रियों की पूजा होती है, सम्मान दिया जाता है वहां देवताओं का निवास रहता है। और जहां उनका सम्मान नहीं होता वहां पर अच्छे कर्म विफल हो जाते हैं। निष्कर्ष यही है नारी शक्ति का सम्मान एवं विकास ना होने पर समाज का पतन होता है।
यदि हम अपने इतिहास के पीछे झांक कर देखें तो पाएंगे कि हर युग में प्रतिभा वान महिलाएं रही हैं और हर युग में उन्होंने अपनी प्रतिभा से समाज में मिसाल प्रस्तुत की है जैसे – सीता, सावित्री, द्रोपदी, गार्गी इन पौराणिक देवियों से लेकर रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई, रानी चेन्नम्मा,रानी पद्मिनी से लेकर आधुनिक भारत की अनेक महिलाओं ने देश को विश्व भर में गौरवान्वित किया है। कल्पना चावला ने धरती पर ही नहीं अपितु अंतरिक्ष में भी अपना परचम लहराया है। 
महिलाओं की शिक्षा उनकी सामाजिक जागरूकता और सर्वोन्नमुखी उन्नति न सिर्फ  उनकी गृहस्थ जीवन के विकास में सहायक होती है बल्कि उनकी उन्नति संपूर्ण देश के विकास में भी अहम भूमिका निभाती है।
बेटियों को बचपन से ही सिखाया जा रहा है कि पाक कला और गृह कार्य मैं निपुणता ही एक नारी के लिए परिपूर्णता है। लेकिन अब समय बदल चुका है। बदले हुए समय के साथ चलना होगा। सामाजिक और पारिवारिक परिस्थितियां बदल रही हैं। महिलाओं का आत्मनिर्भर होना आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। अगर समाज का हर वर्ग पुरुष नारी दोनों सुशिक्षित स्वावलंबी बने तो देश भी तेजी से आगे बढ़ेगा। महिला और पुरुष दोनों को कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की आवश्यकता है। यह एक अच्छा संकेत है कि समाज में युवकों एवं युवतियों के बीच अभिभावकों की ओर से संकुचित विचारधारा ख़त्म हो रही है। आज अभिभावक लड़का हो या लड़की दोनों को समान रूप से अच्छी से अच्छी शिक्षा देने का प्रयत्न करते हैं। लड़कियों में भी शिक्षा के प्रति ज्यादा रुचि परिलक्षित हो रही है और वे अनेक क्षेत्रों में अपनी पहचान स्थापित कर रही हैं।
आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर महिलाएं अपने बच्चों के यह आदर्श बन जाती हैं और सदियों पुराने लड़का और लड़कियों के बीच के रहे भेदभाव को दूर करती है। मातृशक्ति को सृजन की शक्ति माना जाता है। अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व है। भारत में महिलाओं की स्थिति में पिछले कुछ दशकों में कई बड़े बदलावों को देखा गया है। प्राचीन काल में पुरुषों के साथ बराबरी की स्थिति में से लेकर मध्य युग काल में निम्न स्तरीय जीवन परिस्थितियाँ वस जीने के लिए मजबूर रही है। आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, न्यायाधीश आदि जैसे शीर्ष स्थानों पर आसीन हुई हैं। फिर भी अनेक महिलाओं को आज भी सहयोग और सहायता की आवश्यकता है। आज भी सामान्य एवं ग्रामीण महिलाएं अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं क्योंकि उन्हें सामान्य शिक्षा भी उपलब्ध नहीं हो पाती है। हमारा देश काफी तेजी और उत्साह के साथ प्रगति कर रहा है और इसे बरकरार रखने में हमें लैंगिक असमानता को दूर करके महिलाओं के लिए अच्छी शिक्षा सुनिश्चित करना बहुत आवश्यक है। उनके अधिकारों और मूल्यों को महत्व देते हुए सभी महिला विरोधी विचारधारा को समाज से हटाने की आवश्यकता है जैसे - दहेज प्रथा, यौन हिंसा, देह तस्करी आदि।
सभी महिलाओं का सम्मान करना चाहिए एवं उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि आज की नारी अब जागृत और सक्रिय हो रही है।
21वीं सदी भारतीय नारी जीवन में सुखद संभावनाएं लाने की सदी होनी चाहिए ।
हमें समझना होगा की बेटी के सेटल होने का मतलब अब उसका विवाह नहीं बल्कि उसका अपने पैरों पर खड़ा होना हो। यह कहावत गलत नहीं है कि अगर एक महिला शिक्षित होती है तो एक पूरा परिवार शिक्षित होता है। इसलिए हर महिला को सबसे पहले अपनी शिक्षा पूर्ण करनी चाहिए। शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात स्वावलंबी बनना चाहिए ताकि वह सामाजिक आर्थिक नैतिक एवं राजनीतिक रूप से स्वयं को सशक्त बना सके तभी सही अर्थों में होगा “ नारी सशक्तिकरण “ ।



4 comments:

Shalini said...

Inspiring 👍

Anonymous said...

👌👌👍

Anonymous said...

Very well expressed. However urban India ,mind you is also witnessing over empowerment in women, which is affecting the social and emotional issues adversely. So women need to empower with awareness.

देवेश चतुर्वेदी "देव" / Devesh Chaturvedi "Dev" said...

Thank you and yes I too agree with your views.