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क्या लोकतंत्र खतरे में ?

  क्या लोकतंत्र 
             खतरे में ?

                 “ देवेश चतुर्वेदी “


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कुछ वर्षों से प्रायः विपक्ष की सभी पार्टियों के नेताओं से लगातार सुनने को मिल रहा है कि लोकतंत्र खतरे में है। संविधान खतरे में है। परन्तु क्या यह सत्य है ? सत्य यह है कि न लोकतंत्र और ना ही संविधान खतरे में है अगर कोई खतरे में है तो राजनेता एवं उनकी भ्रष्टाचार से लिप्त राजनीति अवश्य खतरे में है। 

जांच एजेंसियों के निशाने पर कांग्रेस के नेता सोनिया गांधी राहुल गांधी प्रियंका गांधी चिदम्बरम जैसे कई दिग्गज नेता हैं परन्तु राग अलापा जा रहा है कि लोकतंत्र खतरे में है।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कथित जमीन घोटाले को लेकर ईड़ी सक्रिय हुई तो लोकतंत्र खतरे में आ गया।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जांच एजेंसियों से लगातार पूछताछ के लिए समन जारी हो रहे हैं एवं आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ओर संजय सिंह जेल में हैं तो लोकतंत्र खतरे में है। आम आदमी पार्टी में भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाते ही नेताओं को स्वतंत्रता सेनानियों का अवतार घोषित कर दिया जाता है।

ममता बनर्जी के नेताओं पर सारदा रोज़ वैली से लेकर मवेशी कोयला व नौकरी घोटालों में जांच चल रही है एवं कुछ नेता जेल में हैं लेकिन वही बस लोकतंत्र खतरे में आ जाता है।

भ्रष्टाचार पर कार्रवाई को लोकतंत्र पर खतरे का सोर पिछले कुछ वर्षों से चल रहा है। विपक्ष असल में इस से बहार नहीं आ पा रहा एवं विपक्ष की यह एक बड़ी विफलता है। क्योंकि भ्रष्टाचार लोकतंत्र का हिस्सा हो सकता है पर लोकतंत्र भ्रष्टाचार का हिस्सा कभी नही हो सकता है। भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने पर लोकतंत्र के ऊपर खतरा बता रहे राजनीतिक दल भूल जाते हैं कि आपातकाल के दौरान मानवाधिकार को ही समाप्त कर दिया गया था।

भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में घुन की तरह फैल रहा है।

भ्रष्टाचार समाज के हर पहलू को प्रभावित करता है एवं भारत में राजनीतिक भ्रष्टाचार सबसे गंभीर है।

भ्रष्टाचार से गरीबी असमानता और अन्याय कायम रहता है यह विकास एवं सुरक्षा के लिए भी खतरा है। भ्रष्टाचार विकासशील देशों में राज्य के बुनियादी ढांचे को भी कमजोर करता है।

केंद्रीय एजेंसियां इन दिनों राजनीतिक दलों एवं नेताओं पर कार्रवाई करती नजर आ रही हैं। केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा है लेकिन आम जनता ठीक समझती है कि यह भ्रष्टाचार को कम करने कि दिशा में यह एक कारगर एवं प्रभावी कदम है।

देश में सर्वाधिक भ्रष्टाचार राजनीतिक दलों में ही व्याप्त रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता हासिल करते ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कमर कसी है एवं इन दिनों इस का असर देखने को मिल रहा है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी हो या कांग्रेस बंगाल में तृणमूल हो या अन्य राजनैतिक दलों के भ्रष्टाचार उजागर हुए हैं एवं केंद्रीय एजेंसियों ने उनके खिलाफ कार्यवाही की तो उसे राजनीति से प्रेरित कहा जा रहा है। परन्तु जनता ने एजेंसियों की कार्यवाही का स्वागत किया है। आज भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में जो माहौल बना है वह निश्चित ही बहुत महत्वपूर्ण एवं शुभ संकेत है।

भ्रष्टाचार में लिप्त नेता एक साथ एक मंच पर आ रहे हैं और लोकतंत्र खतरे में है का राग अलाप रहे हैं। परन्तु आम जनता इनके झांसे में नहीं आयेगी ऐसा प्रतीत हो रहा है। भ्रष्टाचार के ऊपर यदि लगाम लगा दी गई तो यह अवश्य ही अमृत काल की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।