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संदेशखाली

 संदेशखाली

कोलकाता से लेकर कर दिल्ली तक न्याय की मांग 

                           “ देवेश चतुर्वेदी “


संदेशखाली


संदेशखाली विवाद ने पक्ष्चिम बंगाल में ही नहीं परन्तु बंगाल के बहार भी राजनीतिक घमासान खड़ा कर दिया है।

पक्ष्चिम बंगाल के नार्थ 24 परगना जिले में स्थित बांग्लादेश की सीमा से सटे संदेशखाली क्षेत्र से अकसर मवेशी एवं ड्रग्स तस्करी की खबरें आती रहती हैं। लेकिन अब संदेशखाली एक नये विवाद की जड़ बन गया है। तृणमूल के नेता शेख शाहजहाँ एवं उनके गुर्गों पर संदेशखाली की महिलाओं ने यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। उनकी जमीनों पर जोर जबरदस्ती कब्जा एवं परिश्रम करने के पैसे न देने के आरोप भी हैं।

संदेशखाली का विवाद 5 जनवरी 2024 को प्रवर्तन निदेशालय की टीम राशन घोटाले मामले की जांच करने के लिए तृणमूल के नेता शेख शाहजहाँ के अवास पर छापामारी के लिए गई थी वहां उसके समर्थक ईडी की टीम पर हमला करते हैं एवं उन्हें जान बचा कर भागने को मजबूर कर देते हैं। हमले में कुछ अधिकारियों को गंभीर चोटें भी आती हैं तथा उनके वाहनों को तोड़ फोड़ दिया जाता है। उस दिन के बाद से शेख शाहजहाँ फ़रार हो जाता है। परन्तु इस घटना के बाद से संदेशखाली की स्थानीय महिलाएं शेख शाहजहाँ और उसके समर्थकों के अत्याचार के खिलाफ सड़क पर निकल कर लगातार प्रदर्शन चालू कर देती हैं। प्रदर्शनकारी महिलाएं शेख शाहजहाँ के समर्थक शिबू प्रसाद हाजरा के स्वामित्व वाले तीन पोल्ट्री फार्म एवं उसके अवास में भी आग लगा देती हैं।

महिलाओं का आरोप है कि ये फार्म ग्रामीणों से जबरदस्ती कब्जा की गई जमीन पर बनाए गए हैं।

प्रदर्शनकारी महिलाओं का आरोप है कि शेख़ शाहजहाँ के गुर्गे रात में आकर साथ चलने को कहते नहीं चलने पर जबरन उठा ले जाते एवं उनके साथ दुष्कर्म किया जाता था। पुलिस से शिकायत करने पर भी कोई सहयोग नहीं मिलता था।

विवाद बढ़ने के बाद पक्ष्चिम बंगाल के राज्यपाल ने भी संदेशखाली का दौरा किया और मीडिया को बताया कि संदेशखाली की माताओं एवं बहनों की बातें सुन कर उनके तो होश ही उड़ गये। उन्हें विश्वास नहीं हो पा रहा कि रबिन्द्र नाथ टैगोर की धरती पर ऐसा कुछ हो सकता है।

कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रे ने भी घटना पर स्वतः संज्ञान लेते हुए ममता बनर्जी सरकार से मामले पर रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिये हैं।

राज्य महिला आयोग एवं राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी घटना स्थल का दौरा किया है। एनसीडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में तृणमूल सरकार के नेताओं पर महिलाओं पर उत्पीड़न के दावे की पुष्टि की है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है।

भाजपा का कहना है कि एक महिला मुख्यमंत्री को अपने राज्य की पीड़ित महिलाओं के साथ खड़ा होना चहिए परन्तु वह अपनी पार्टी के अपराध करने वाले नेताओं को बचाने में लगी हुई हैं।

पक्ष्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में संदेशखाली पर बोलते हुए कहा कि उनकी सरकार कार्रवाई कर रही है परन्तु भाजपा बाहर से लोगों को बुलाकर माहौल खराब कर रही है। वह भाजपा एवं आरएसएस को दोष दे रही है।

देश के अन्य पार्टियों के नेता जैसे सोनिया गांधी राहुल गांधी प्रियंका गांधी अखिलेश यादव लालू प्रसाद केजरीवाल आदि सब संदेशखाली पर मोन साधे हुए हैं। यह आज की राजनीति का स्तर दर्शाता है।

संदेशखाली मामले में कोलकाता से लेकर कर दिल्ली तक न्याय की मांग जारी है।

 

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