articlesdev.com

सुंदरबन की बाघ पीडित विधवा महिलायें

सुंदरबन की बाघ पीडित विधवा महिलायें 

                              देवेश चतुर्वेदी "


articlesdev.com

         सुंदरबन की बाघ पीडित विधवा महिलायें 

सुंदरबन राष्ट्रीय उघान एक विशाल तटीय मैंग्रोव वन है जो भारत एंव बंग्लादेश के बीच साझा है । 

सुंदरबन का नाम सुंदरी यानि हेरिटिएरा माइनर नामक मैंग्रोव पौधे से पड़ा है । 

सुंदरबन को उसके अद्वितीय मैंग्रोव वनों के लिए 1987 में यूनेस्को ने विश्र्व धरोहर स्थल घोषित किया हुआ है । 

सुंदरबन नैसर्गिक सुन्दरता एवं वन्य जीव की वजह से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है । 

यह जंगल दुनिया के सबसे बड़े डेल्टा में स्थित है जो गंगा पदमा और ब्रह्मपुत्र नामक तीन नदियों द्वारा निर्मित है । 

articlesdev.com
                       सुंदरबन में घूमते बाघ

सुंदरबन दुनिया का एकमात्र मैंग्रोव टाइगर लैंड है । यहाँ इंसान एवं जानवर एक दूसरे के बहुत समीप जीवन व्यतीत करते हैं । जंगलों के बीच बनी बस्तियों में हजारों ग्रामीण रहते हैं जो लकड़ी और शहद इकट्ठा करके एवं मछली पकड़ के अपनी आजीविका कमाते हैं । 

यहाँ सैकड़ों आदम खोर बाघ घुमते हैं इसलिए इस जंगल में मानव एवं पशु के बिच संघर्ष निरंतर जारी रहता है । जिसका भयावह नतीजा है यहाँ पर बसा विधवा पारा अर्थात विधवा महिलाओं की बस्ती जहाँ बाघों द्वारा मारे जाने वाले व्यक्तियों की विधवा पत्नियां रहती हैं । 

इस जंगल में मनुष्य एवं जीवों के बीच संघर्ष दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि आवास की कमी बढ़ती आबादी एवं उपजाऊ भूमि यहाँ लोगों को बस जाने को आकर्षित कर रहे हैं ।

यहाँ प्रति वर्ष लगभग 80 से 100 लोग बाघ के शिकार हो जाते हैं । कई बार लोगों के शव तक नहीं मिलते हैं एवं इन्हें लापता व्यक्ति घोषित कर दिया जाता है ।

सुंदरबन क्षेत्र में लगभग 3000 बाघ विधवाएं रहती हैं जिनके पति बाघों द्वारा मारे जा चुके हैं । सुंदरबन के जिस क्षेत्र में बाघ विधवाएं रहती हैं उसको “विधवा पारा“ एवं उनके पतियों को बाघों द्वारा मारे जाने के कारण उन्हें “बाघ विधवा“ कहकर संबोधित किया जाता है ।

समाज के अंधविश्वासी लोग हमेशा महिलाओं को दोषी ठहराने के तरीके खोज ही लेते हैं । यहाँ भी समाज में “बाघ विधवा“ होना शापित माना जाता रहा है अंततः इन्हें भी अपने पतियों के मौत का दोषी एवं अशुभ माना जाता है । इन्हें झींगा केकड़ा एवं मछली पकड़ने जैसे पारंपरिक मत्स्य व्यवसाय करने से रोका जाता है । जीवन यापन के साधनों के आभाव में अनेक महिलाएं कोलकाता की तरफ पलायन करके फुटपाथ पर भीख मांग  कर आपना जीवन व्यतीत करने लगती हैं या वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर कर दी जाती है । विडंबना यह है कि बाघ विधवाओं के चेहरे पर बेबसी साफ झलकती है फिर भी वे अपनी इस दयनीय अवस्था के लिए समाज को नहीं बल्कि अपने भाग्य को ही दोषी मानती हैं । आवश्यकता है कि समाज के हर वर्ग के व्यक्तियों को मिलकर धार्मिक अंधविश्वासों को दूर करने के प्रयत्न करना चाहिए । ऐसा नहीं है कि बाघ विधवाओं के लिए कुछ भी नहीं हो रहा है कई गैर सरकारी संगठन बाघ विधवाओं के लिए काम कर रहे हैं एवं उन्हें वैकल्पिक आजीविका प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं । पर अभी भी जरूरतमंद विधवाओं के लाभ के लिए एवं उनके जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास की आवश्यकता है । 

बाघ पीड़ित परिवारों की महिलाओं एवं बच्चों को जीवन यापन स्वास्थ्य एवं शिक्षा की व्यवस्था करना अत्यन्त आवश्यक है । बाघों के शिकार हुए अनेकों मामलों में शव नहीं मिलते ऐसी स्थिति में इनके विधवाओं को सरकार से मुआवजा मिलना अत्यन्त कठिन हो जाता है । ऐसे पीड़ित परिवारों के सदस्यों को मुआवजा ठीक से सही वक़्त पर मिले ऐसी व्यवस्था करना बहुत जरूरी है । 

सुंदरबन के डेल्टाई गाँव में ऐसी सैकड़ों विधवाएं हैं जो अपने अधिकारों के बारे में कुछ भी नहीं जानती हैं उन्हें इस बात से जागरूक कराया जाना चाहिए ।

सुंदरबन की इन विधवाओं को मधुमक्खी पालन अगरबत्ती बनाना रसोई बागबानी मुर्गी पालन सिलाई हस्तशिल्प आदि परियोजनाओं की व्यवस्था की जाने की और भी आवश्कता है जिससे वह मानव तस्करी एवं वेश्यावृत्ति के जाल में फंसने से दूर रह सकें ।

सुंदरबन में अच्छे विधालय अस्पताल आदि की व्यवस्था मुफ्त में की जानी चाहिए ताकि उनके दैनिक जीवन स्तर में सुधार हो सके ।।

articlesdev.com