एक डाॅक्टर की मौत !
“ देवेश चतुर्वेदी “
कोलकाता के सरकारी अस्पताल आर जी कर मेडिकल काँलेज एवं अस्पताल में अगस्त 2024 को एक महिला ट्रेनी डाक्टर के साथ बलात्कार एवं हत्या की वीभत्स घटना ने पश्चिम बंगाल को ही नहीं बल्कि पूरे भारत देश को ही झकझोर कर रख दिया है । महत्वपूर्ण प्रश्न है कि क्या यह घटना साधारण बलात्कार एवं हत्या थी या उसे निशाना बनाया गया है। क्योंकि वह कुछ गहरे राज़ जानती थी ?
आर जी कर चिकित्सा संस्थान विवादों में पहली बार नहीं घिरा है। आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का इतिहास परेशान करने वाला रहा है। इस काँलेज में यह कोई पहली रहस्यमयी मौत नहीं हुई है इससे पहले भी काँलेज में ऐसी दुखदायी घटनाएं हो चुकी हैं जिसका रहस्य पुलिस जाँच में भी नहीं खुल सका है।
सन् 2001 में संस्थान के चिकित्सक डाँ सौमित्र ने अस्पताल के भीतर चल रहे एक पोर्न रिंग का पर्दाफाश करने का प्रयास किया और उसकी मौत हो गई। यह आत्महत्या थी या हत्या यह संदेहास्पद ही रह गया । एक छात्र का सन् 2005 में लापता होना । सन् 2006 में काँलेज के प्रोफेसर का शव मिलना और सन् 2020 में ट्रेनी डाक्टर की आत्महत्या आदि इन अधिकांश मामलों में अभी भी रहस्य का पर्दा पड़ा हुआ है ।
सन् 2021 में आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रिंसिपल के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से ही संदीप घोष चिकित्सा संस्थान में एक विवादास्पद प्रोफेसर रहे हैं। चिकित्सा एवं छात्रों का दावा है कि वह सत्तारूढ़ राज्य पार्टी तृणमूल कांग्रेस के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के लिए जाने जाते हैं । ध्यान देने योग्य है कि संदीप घोष का दो बार तबादला किए जाने के बावजूद उन्हें दोनों बार ही आर जी कर में बहाल कर दिया गया । इस बार भी बलात्कार एवं हत्या का मामला सामने आने के दो दीन बाद पद से इस्तीफा देने पर भी संदीप घोष को मात्र चार घण्टों में ही दूसरे सरकारी अस्पताल का शीर्ष पद कैसे सौंप दिया गया। कोलकाता उच्च न्यायालय ने डाँ घोष की शीघ्र बहाली के लिए तृणमूल सरकार को कड़ी फटकार लगाई तथा अगले निर्देश तक छुट्टी पर जाने का आदेश दिया है।
आर जी कर के प्रिंसिपल रहने के दौरान संदीप घोष पर भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने के आरोप हैं जिसमें वित्तीय अनियमितताएं अवैध कमीशन के जरिए धन एकत्रित करना टेंडरों में हेराफेरी करने लावारिस शवों का व्यापार एवं बायोमेडिकल कचरे की तस्करी जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं ।
आर जी कर बलात्कार एवं हत्या के मामले में प्रदेश सरकार और उसके कुछ फैसलों पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
पीड़िता के माता पिता के अनुसार अस्पताल के उपाधीक्षक उन्हें सूचित करते हैं कि उनकी बेटी की तबियत ठीक नहीं है इसलिए वह तुरंत आ जाये । थोड़ी देर बाद उन्हें पुनः सूचित किया जाता है कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है । अस्पताल पहुँचने पर भी उन्हें तीन घंटे तक शव नहीं दिखाया जाता है एवं शव दिखाने के उपरान्त ही पीड़िता का अंतिम संस्कार अस्पताल के कर्मचारियों एवं पुलिस प्रशासन द्वारा माता पिता पर दवाब डाल कर शीघ्र ही करवा दिया जाता है । पीड़िता का शव परीक्षण में बलात्कार एवं पच्चीस अंतरिक और बाहरी चोटों का पता चलता है इसके बावजूद अस्पताल द्वारा एफ आइ आर बहुत देरी से शव जलाने के बाद की जाती है । जिस सेमिनार रूम में शव मिला वहां लोगों ने घुस कर जमकर तोड़फोड़ की। आरोप है कि क्राइम सीन पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए ऐसा किया गया है।
आर जी कर की इस घटना के बारे कुछ बातें स्पष्ट करना अत्यन्त महत्वपूर्ण है ।
क्या यह पीड़िता की हत्या का इरादा मात्र था या वह कुछ ताकतवर लोगों एवं अस्पताल के प्रमुख के बारे में कुछ गंभीर रहस्य जानती थी ? क्या संजय राय को बलि का बकरा बनाया जा रहा है ? एवं योजना बद्ध तरीके से इसे मात्र साधारण बलात्कार एवं हत्या का एंगल देने का प्रयास किया जा रहा है ।
कोलकाता की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गृह एवं स्वास्थ्य मंत्रालय विभाग की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उन्हें माँ माटी और मानुष के तीव्र आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है।
अब महत्वपूर्ण है कि इस जघन्य बलात्कार एवं हत्या का राज़ खुलेगा या अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में ही गुम हो जायेगा ?